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शेयर बाजार और मियूचुअल फण्ड इन दोनों में क्या अन्तर है ? यह बहुत ही सामान्य और साधारण सा प्रश्न है मगर इस बात को समझने की जरूरत है, उसे तो खासकर समझने की जरूरत है जो शेयर बाजार से अनजान है। शेयर बाजार और मियूचुअल फण्ड दो अलग-अलग नदियां हैं जिसका पानी आखिर में एक ही समुन्द्र में जाता है। एक खेतिहर अपनी खेती दो तरह से करता है..... एक वह स्वयं करता है उसे खेती की पूरी जानकारी होती है, दूसरा खेतिहर अपने खेत को किसी को बटाई देकर करवाता है यह वह व्यक्ति होता है जिसके पास खेती तो है लेकिन वह डरता है, वह जोखिम नहीं लेना चाहता वह चाहता है कि कोई व्यक्ति अपने कुशल नेतृत्व में फसल उगाए और हमें उसका लाभ दे भले ही वह अपना मेहनताना ले ले। सरकार ने हमारे देश में मियूचुअल फण्ड की व्यवस्था दी जो सेबी के देख रेख में नियम और अनुशासन के तहत होता है। इन्हें AMC कम्पनी भी कहते हैं। इनका एक फण्ड मैनेजर होता है जो निवेशकों के धन को बाजार के बेहतरीन कम्पनियों में निवेश करता है, निवेशकों के धन को कई कम्पनियों में हिस्सेदारी ली जाती है इसके एवज में उस निवेशक को NAV (नेट एसेट वैल्यु) एलॉट की जाती है यह बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर होता है। मियूचुअल फण्ड की व्यवस्था सरकार ने इसलिए कि ताकि एक अनजान व्यक्ति भी शेयर बाजार में पैसा लगा सके, एक कुशल नेतृत्व में वह फण्ड मैनेजर बिल्कुल बटाई की खेती की तरह देखता है इसके एवज में उस फण्ड मैनेजर (AMC कम्पनी) को अतिरिक्त खर्च देने पड़ते हैं। आज से दो-तीन दशक पहले शेअर बाजार विदेशी निवेशकों पर ज्यादा निर्भर होता था क्योंकि उनकी हिस्सेदारी ज्यादा होती थी किसी भी खराब खबर पर बाजार धराशाई हो जाता था लेकिन सरकार की सूझबूझ से मियूचुअल फण्ड का ग्राफ दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जो विदेशी निवेशकों की निर्भरता को धीरे-धीरे कम करते हुए बाजार को मजबूत कर रहा है। हर महीने SIP से बहुत बड़ी रकम शेयर बाजार में निवेश हो रहा है अभी बाजार शैशवावस्था में है, जब बाजार युवावस्था में होगा तो हर किसी का धन बाजार का हिस्सा होगा, टैक्स सेवर प्लान में जो धन निवेश होता है वह तीन साल के लिए लॉक होता है यानी जिन कम्पनियों में वह धन लगता है वह तीन साल बाद ही बिकेगा यानी कि उसकी गिरावट के आसार बहुत ही कम हो जाते हैं। सरकार धीरे-धीरे ऐसी व्यवस्था बना रही है कि आम निवेशक भी बाजार का हिस्सा बन सके। जो लोग सीख कर डायरेक्ट बाजार में पैसा लगाते हैं उन्हें मियूचुअल फण्ड से ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है। मियूचुअल फण्ड, इन्श्योरेंस कम्पनियां और कॉरपोरेट यह बाजार के स्तम्भ हैं जहां भी इनका पैसा मूव करता है यानी कि बड़ा धन वहां ग्रोथ होती है और जिन कम्पनियों से इनकी हिस्सेदारी कम होती है उनका पतन भी निश्चित होता है। आज इतना ही ............... बने रहिए हमारे साथ ताकि हम बाजार की छोटी-छोटी बातें आप तक सरल भाषा में पहुंचते रहें.................... आपका-भुवनेश्वर वर्मा
2023-05-20T23:48:53+00:00
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शेयर बाजार में ब्लूचिप किसे कहते हैं..................आइये जानते हैं इसे.......

सामान्य तौर से शेयर बाजार में इस शब्द का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है, सबसे अच्छी और मजबूत बैलेंश शीट और फंडामेंटल वाले क्वालिटी स्टाकों को ब्लूचिप स्टॉक कहा जाता है। वैसे तो आलू को गोल काट दिया जाये तो आलू चिप, टमाटर से टमाटर चिप बन जाता है, मगर शेयर बाजार में ब्लूचिप को जानने के लिए हमें कसीनो की तरफ जाना होगा, आप कभी कसीनो में गये होंगे या जाएं तो वहां जो भी गेम खेला जाता है उसे नगद यानी कैश से नहीं खेला जाता है उसके लिए आपको पहले चिप खरीदनी पड़ती है उसके बाद चाल चलनी पड़ती है। उसमें सभी चिप अलग-अलग कलर (रंग) के होते हैं और जो सबसे महंगे चिप्स होते हैं वे नीले (ब्लू) होते हैं। इसलिए सबसे महंगे चिप्स ब्लू चिप्स होते हैं। कुछ वहीं से इन शब्दों को लिया गया है और हम उसे ब्लूचिप कहते हैं।
2023-05-13T02:04:33+00:00
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Analyzed the last 𝟰𝟯 𝘆𝗲𝗮𝗿𝘀 𝗼𝗳 𝗱𝗮𝘁𝗮 𝗼𝗳 𝗦𝗘𝗡𝗦𝗘𝗫
The results will blow your mind 📛📛📛


🔰 There were around 𝟭𝟭,𝟬𝟬𝟬 𝘁𝗿𝗮𝗱𝗶𝗻𝗴 𝗱𝗮𝘆𝘀 in the last 43 years.

🔰 Observations on positive and negative return occurrences.

𝗗𝗮𝗶𝗹𝘆 - 53% time Positive and 47% time Negative.

𝗪𝗲𝗲𝗸𝗹𝘆 - 56% time Positive and 44% time Negative

𝗠𝗼𝗻𝘁𝗵𝗹𝘆 - 61% time Positive and 39% time Negative

𝗤𝘂𝗮𝗿𝘁𝗲𝗿𝗹𝘆- 64% time Positive and 36% time Negative

𝗬𝗲𝗮𝗿𝗹𝘆 - 72% time Positive and 28% time Negative

𝟯 𝘆𝗲𝗮𝗿𝘀 - 89% time Positive and 11% time Negative

𝟱 𝘆𝗲𝗮𝗿𝘀- 96% time Positive and 4% time Negative

𝟭𝟬 𝘆𝗲𝗮𝗿𝘀- 100% time Positive and 0% time Negative

🔰 SENSEX delivered 𝟭𝟱.𝟱% 𝗖𝗔𝗚𝗥 returns over the last 43 years.

🔰 𝗗𝗲𝗰𝗮𝗱𝗮𝗹 𝗿𝗲𝘁𝘂𝗿𝗻𝘀 dispersion (CAGR)

𝟭𝟵𝟴𝟬-𝟭𝟵𝟵𝟬 - 21.6%
𝟭𝟵𝟵𝟬-𝟮𝟬𝟬𝟬 - 14.3%
𝟮𝟬𝟬𝟬-𝟮𝟬𝟭𝟬 -17.8%
𝟮𝟬𝟭𝟬-𝟮𝟬𝟮𝟬 - 8.8%.*
2020~ 2022 - 24.8%

🔰 BSE Sensex returns 15.5%, if we add an average dividend yield of 1.4% for the last 43 years.

At 16.9% compounding the value of BSE is actually around 𝘁𝗵𝗲 𝟴𝟬,𝟬𝟬𝟬 𝗹𝗲𝘃𝗲𝗹.🚀

🔰 Longest 𝗽𝗲𝗿𝗶𝗼𝗱 𝘄𝗶𝘁𝗵𝗼𝘂𝘁 𝗿𝗲𝘁𝘂𝗿𝗻𝘀 was from 1994 to 2003. 9 years in total.

🔰 Since 2002, in the last 18 years 𝗡𝗢 𝘀𝗶𝗻𝗴𝗹𝗲 𝟳 𝘆𝗲𝗮𝗿𝘀 𝗿𝗼𝗹𝗹𝗶𝗻𝗴 𝗿𝗲𝘁𝘂𝗿𝗻𝘀 𝘄𝗲𝗿𝗲 𝘄𝗶𝘁𝗵𝗼𝘂𝘁 𝗿𝗲𝘁𝘂𝗿𝗻𝘀.

This means since 2002 if you ever invested and kept money for a minimum period of 7 years then you would have 𝗻𝗲𝘃𝗲𝗿 𝗹𝗼𝘀𝘁 𝗺𝗼𝗻𝗲𝘆.

🔰 But what is most surprising and rewarding has been the performance of actively managed equity funds. Here are the data:

𝗖𝗮𝘁𝗲𝗴𝗼𝗿𝘆𝘄𝗶𝘀𝗲 𝗿𝗲𝘁𝘂𝗿𝗻𝘀 𝗳𝗼𝗿 𝟮𝟬 𝘆𝗲𝗮𝗿𝘀 (𝗖𝗔𝗚𝗥)

𝗛𝘆𝗯𝗿𝗶𝗱 - 15.96%
𝗗𝗶𝘃𝗲𝗿𝘀𝗶𝗳𝗶𝗲𝗱 -16.25%
𝗘𝗟𝗦𝗦 - 18.20%
**𝗔𝗹𝗹 𝗙𝘂𝗻𝗱𝘀 - 16.41%*

** excluding LIC/JM/Taurus/Quant MF schemes.

🔰 𝗦𝗘𝗡𝗦𝗘𝗫 𝘄𝗮𝘀 𝗮𝘁 𝟯𝟴𝟬𝟬 𝗶𝗻 𝗝𝘂𝗻𝗲 𝟭𝟵𝟵𝟲 (𝟮𝟲 𝘆𝗲𝗮𝗿𝘀 𝗯𝗮𝗰𝗸).

In the last 26 years, average-ex MF delivered 18% CAGR.

Had Sensex delivered as much as average MF schemes then the value of BSE Sensex should have been:

At 16.4% CAGR, SENSEX should be around 1,70,000 levels
At 18% CAGR, SENSEX should be around 2,38,000 levels.
2023-05-01T00:17:24+00:00
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https://youtube.com/shorts/P_BxAKbBfIY?feature=share
2022-12-31T10:18:55+00:00
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Photo from Lilesh Mehra
2022-12-28T01:33:27+00:00
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https://m.facebook.com/groups/446508727451962/permalink/471835084919326/
2022-10-18T11:44:14+00:00

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